इडादध

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Vedic Rituals Hindi[सम्पाद्यताम्]

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इडादध पु.
दर्श एवं पूर्णमास याग के एक विकल्प का नाम, जिसका अनुष्ठान उसी प्रक्रिया से होता है जिस प्रक्रिया से दाक्षायण यज्ञ का अनुष्ठान (आप.श्रौ.सू. 3.17.4-22) पूर्णमासी के दिन अगिन् के लिए एक अष्टाकपाल पुरोडाश, अगनीषोम के लिए एकादशकपाल पुरोडाश एवं इन्द्र के लिए सान्नाय्य का विधान किया गया है। अमावस्या (दर्श) के दिन अगिन् के लिए एक पुरोडाश (अष्टाकपाल), इन्द्र इ 150 के लिए (एकदशकपाल) पुरोडाश एवं मैत्रावरुण के लिए आमिक्षा, तदनन्तर वाजिन् संज्ञक जल की आहुति। उपवसथ के दिन अगिन् के लिए (अष्टाकपाल) पुरोडाश। बाद में आने वाले पूर्णमासी के लिए इसे नहीं करना चाहिए (बौ.श्रौ.सू. 17.52; 23.17); आश्व.श्रौ.सू. (2.14) के अनुसार प्रजापति इस याग का मुख्य देवता है, जिसका (जिस याग का) अनुष्ठान फाल्गुन या चैत्र की पूर्णिमा के दिन शृंखला का प्रारम्भ कर पूरे एक वर्ष भर किया जाता है। शां.श्रौ.सू. (3.9) के अनुसार इस यज्ञ की हविस् हैं- पूर्ववर्ती दिन में अगिन् के लिए पुरोडाश एवं सरस्वती के लिए पका हुआ चावल (पक्वौदन) एवं अगनीषोम के लिए एक पुरोडाश, एक उपांशु (निमन् ध्वनि में) आहुति भी आगनीषोम के लिए एवं सान्नाय्य (दधि) पूर्णमासी के दिन इन्द्र के लिए। अमावस्या (दर्श) के उपवसथ के लिए वह अगिन् के लिए पुरोडाश एवं सरस्वन्त् के लिए पक्व ओदन की आहुति दे। दूसरे दिन प्रातः इन्द्र-अगिन् के लिए एक पुरोडाश एवं मित्रा-वरुण के लिए आमिक्षा की आहुति तथा तदनन्तर वाजिन् के अर्पण का विधान है, श्रौ.को. (सं.) I.326। इडानां संक्षार न. एक साम का नाम, पञ्च.ब्रा. 15.3.14 सा.वे. 1.119 पर निबद्ध।

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