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अगनीषोमीय

विकिशब्दकोशः तः


यन्त्रोपारोपितकोशांशः

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अगनीषोमीय वि.
1. अगिन् एवं सोम से सम्बद्ध, अगिन् एवं सोम हैं देवता जिसके (आलभ्य पशु-छाग = बकरा) अ.वे. 4.6.6; ऐ.ब्रा. 6.3; पञ्च.ब्रा. 21.14.11; कौषी.ब्रा. 18.11 (पूर्णमास इष्टि में एकादश कपाल पुरोडाश) तै.सं. 1.8.1.1; 11.5.2.3; श.ब्रा. 1.6.2.6; 1.6.3.14; आप.श्रौ.सू. 1.24.5; 2.19.12; 3.15.6; 3.16.1०; 4.9.13; 1०.29.4; 11.16.1; 11.2०.13; 12.3.3; 2०.24.4; का.श्रौ.सू. 2.3.21; हि.श्रौ.सू. 1.1.73; ला.श्रौ.सू. 1.3.18; (स्थालीपाक) मा.गृ.सू. 2.3.3; (दुग्ध) जै.ब्रा. 1.21; (उपांशु-मन्दस्वरपूर्वक देय आहुति) गो.ब्रा. 1.3.1०; आश्व.श्रौ.सू. 1.3.13; आश्व.श्रौ.सू. 1.3.13; 1.6.1; 4.11.1; 8.2.6; शां.श्रौ.सू. 1.3.12; 1.8.1०; 2.3.5; 3.8.8; 2. अगिन्षोम पशुयाग से सम्बद्ध, आश्व.श्रौ.सू. 6.14.1० ‘अगिन्षोमीयेन सञ्चरेण व्रजित्वा’; पु. अगिन् एवं सोम के अगनीध्र 25 अगनीषोमीय 26 सम्मान में अनुष्ठित होने वाला कृत्य (या अगिन्षोमीय नाम से प्रसिद्ध पशुयाग अथवा उन्हे इष्टि आदि में समर्पित होने वाली अन्य प्रकार की आहुति), श.ब्रा. 2.4.4.7; शां.श्रौ.सू. 6.1.1; आप.श्रौ.सू. 1०.4.9-1०; 1०.15.16; 11.2०.16; हि.श्रौ.सू. 1.1.28; गो.गृ.सू. 1.8.23; द्रा.गृ.सू. 2.2.2०; काल पु. अगिन्षोमीय पशुयाग के लिए नियत समय, आप.श्रौ.सू. 22.3.9, मा.श्रौ.सू. 198.1।

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