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शंयुवाक

विकिशब्दकोशः तः


यन्त्रोपारोपितकोशांशः

[सम्पाद्यताम्]

पृष्ठभागोऽयं यन्त्रेण केनचित् काले काले मार्जयित्वा यथास्रोतः परिवर्तयिष्यते। तेन मा भूदत्र शोधनसम्भ्रमः। सज्जनैः मूलमेव शोध्यताम्।


शंयुवाक/ शं--यु-वाक m. a sacred formula containing the words संयोः( = next) A1s3vS3r. (See. Pa1n2. 2-4 , 29 Va1rtt. 1 Pat. )

पृष्ठभागोऽयं यन्त्रेण केनचित् काले काले मार्जयित्वा यथास्रोतः परिवर्तयिष्यते। तेन मा भूदत्र शोधनसम्भ्रमः। सज्जनैः मूलमेव शोध्यताम्।


शंयुवाक पु.
‘शंयु’ का उच्चारण; ‘तच्छंयोरावृणीमहे’ शब्दों से युक्त स्वस्तिवाचन (शुभाशंसा) का एक मन्त्र, तै.ब्रा. 3.5.11; श.ब्रा. 1.9.1.26. इसका उच्चारण होता द्वारा अध्वर्यु के आग्रह पर परिधियों को अगिन् में फेंके जाते समय किया जाता है (दर्श), आप.श्रौ.सू. 3.7.1०; का.श्रौ.सू. 3.6.16; शंयुवन्त एक इष्टि है, जिसका अवसान ‘शंयु’ से होता है; उदाहरण के लिए सोम-याग की प्रयाणीयेष्टि का आमु- खात्मकभाग, आप.श्रौ.सू. 1०.21.13; चातुर्मास्य में; भा.श्रौ.सू. 8.21.17 (ऐच्छिक रूप से); द्रष्टव्य - श्रौ.प.नि. 37.31०- 11।

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