हिरण्यशकल
यन्त्रोपारोपितकोशांशः
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पृष्ठभागोऽयं यन्त्रेण केनचित् काले काले मार्जयित्वा यथास्रोतः परिवर्तयिष्यते। तेन मा भूदत्र शोधनसम्भ्रमः। सज्जनैः मूलमेव शोध्यताम्। |
हिरण्यशकल/ हिरण्य--शकल m. a small piece of -ggold S3Br.
Vedic Rituals Hindi
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पृष्ठभागोऽयं यन्त्रेण केनचित् काले काले मार्जयित्वा यथास्रोतः परिवर्तयिष्यते। तेन मा भूदत्र शोधनसम्भ्रमः। सज्जनैः मूलमेव शोध्यताम्। |
हिरण्यशकल पु.
(न.) (हिरण्यस्य शकलः) एक स्वर्ण- खण्ड (इसका प्रयोग वपा-याग में किया जाता है), मा.श्रौ.सू. 1.8.4.32; शुक्रग्रह के लिए सोने की दो पपड़ियां प्रयुक्त होती हैं, मा.श्रौ.सू. 2.2.5.29; ‘प्रवर्ग्योत्सादनम्’ में महावीर पात्र उत्तरवेदि पर सोने की पपड़ियों पर रखे जाते हैं, मा.श्रौ.सू. 4.4.15; मा.श्रौ.सू. 6.1.5.7; चयन में प्रयुक्त प्रधान हस्तकौशल हिरण्यशकल 422 पशु की आँखों में दो सोने की पपड़ियां डाली जाती हैं, मा.श्रौ.सू. 6.1.7.26. सोने की दो पपड़ियां उस घी के भीतर रख दी जाती है, जिससे ‘स्वयमातृण्णा’ ईंटे सींची जाती हैं, मा.श्रौ.सू. 6.2.4.17; वे मृत आहितानि के छिद्रों में भी रखी जाती हैं, मा.श्रौ.सू. 8.19.13।