सदस्यसम्भाषणम्:सतीश भार्गवः
विषयः योज्यताम्इन्द्रवज्रा छन्दः[सम्पाद्यताम्]
इन्द्रवज्रा छन्द के प्रत्येक चरण में 11-11 वर्ण होते हैं । इस का लक्षण इस प्रकार से है:
स्यादिन्द्रवज्रा यदि तौ जगौ गः ।
इसका अर्थ है कि इन्द्रवज्रा के प्रत्येक चरण में दो तगण, एक जगण और दो गुरु के क्रम से वर्ण रखे जाते हैं । इसका स्वरुप इस प्रकार से है: ऽऽ । ऽऽ । ।ऽ । ऽऽ तगण तगण जगण दो गुरु
इन्द्रवज्रा छन्द के प्रत्येक चरण में 11-11 वर्ण होते हैं । इस का लक्षण इस प्रकार से है:
स्यादिन्द्रवज्रा यदि तौ जगौ गः ।
इसका अर्थ है कि इन्द्रवज्रा के प्रत्येक चरण में दो तगण, एक जगण और दो गुरु के क्रम से वर्ण रखे जाते हैं । इसका स्वरुप इस प्रकार से है: ऽऽ । ऽऽ । ।ऽ । ऽऽ तगण तगण जगण दो गुरु
उदाहरण: ऽ ऽ । ऽऽ । । ऽ । ऽ ऽ विद्येव पुंसो महिमेव राज्ञः प्रज्ञेव वैद्यस्य दयेव साधोः । लज्जेव शूरस्य मुजेव यूनो, सम्भूषणं तस्य नृपस्य सैव॥
यहाँ प्रत्येक पंक्ति में प्रथम पंक्ति वाले ही वर्णों का क्रम है । अतः यहाँ इन्द्रवज्रा छन्द है । सतीश भार्गवः (सम्भाषणम्) ०२:३७, १४ मार्च २०१९ (UTC)